हवा क्यूँ बहती है
मौत पे ज़िंदगी क्यों रुकती है
पैदा होने के बाद हर किसी को
मरना क्यों पड़ता है
हर साल सावन
क्यूँ आता है
दुःख का दिन भी
कट क्यूँ जाता है
हमारे चाहने पे भी
सुख ठहर क्यूं नही जाता है
कौन है जो
सृष्टी को चलाता है
कौन है जो दिखता नही
पर होने का अहसास दिलाता है
कौन है जो बैठकर अन्दर
हर ग़लत कदम से पहले हमें रोकता है
किसकी आवाज़ सिर्फ़ हमें सुनायी देती
जो हमारे अंदर से ही बोलता है
कभी गौर करा है ये सब क्या है
और किसने करा है
कौन है जो जिससे है ऊपर आकाश
और अपनी जगह पे नीचे धरा है
क्यूं दुःख में आँखें बरबस
आसमान की तरफ़ उठ जाती है
जब भी कोई दुःख की
बिकट घड़ी आती है
हाथ - पैर मारकर
जब थक जाते है
फिर हम किस एक के भरोसे
सब छोड़ बैठ जाते हैं
हमारे अस्तित्व,
हमारी सोच,
आंखों पे पड़ा पर्दा
हर चीज पे प्रश्चिन्ह
लगाते हैं ये प्रश्न
मौत पे ज़िंदगी क्यों रुकती है
पैदा होने के बाद हर किसी को
मरना क्यों पड़ता है
हर साल सावन
क्यूँ आता है
दुःख का दिन भी
कट क्यूँ जाता है
हमारे चाहने पे भी
सुख ठहर क्यूं नही जाता है
कौन है जो
सृष्टी को चलाता है
कौन है जो दिखता नही
पर होने का अहसास दिलाता है
कौन है जो बैठकर अन्दर
हर ग़लत कदम से पहले हमें रोकता है
किसकी आवाज़ सिर्फ़ हमें सुनायी देती
जो हमारे अंदर से ही बोलता है
कभी गौर करा है ये सब क्या है
और किसने करा है
कौन है जो जिससे है ऊपर आकाश
और अपनी जगह पे नीचे धरा है
क्यूं दुःख में आँखें बरबस
आसमान की तरफ़ उठ जाती है
जब भी कोई दुःख की
बिकट घड़ी आती है
हाथ - पैर मारकर
जब थक जाते है
फिर हम किस एक के भरोसे
सब छोड़ बैठ जाते हैं
हमारे अस्तित्व,
हमारी सोच,
आंखों पे पड़ा पर्दा
हर चीज पे प्रश्चिन्ह
लगाते हैं ये प्रश्न
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