क्या करूँ
उस भगवान का
जो न नाचे
न नचाये
न रिझाये
न वंशी बजाये
न माखन चुराए
न फूलों से सजे
न मोरपंख सजाये
गैया हमारी भूखी रह जाए
पर वो उसे न चराए
मैया उसे बुलाये
पर वो न लाड लगाए
न सखाओं संग खेले
न सखियों संग गाये
कुछ कह भी न पाए
जब बाबा उसे बुलाये
हे उद्धव तेरा ये ब्रह्म
मुझको न भाए
इसकी महिमा
और हमें न बताए.
वो आये या न आये
याद रखे या बिसराए
हमें तो बस
मोहन ही भाये.
शुक्रवार, 24 फ़रवरी 2012
वो आये या न आये, याद रखे या बिसराए, हमें तो बस मोहन ही भाये
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1 comments:
उधौ, मन न हुये दस बीस..
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