मैया नही छोडेगी उसे आज किया है कान्हा ने ऐसा काज लाख समझाया मैया ने पर वो शैतान न आया बाज दही की हांडी ही फोड डाली और बन्दरों में दिया है बाँट आज तो मार पड़ेगी उसको पहले बस लगती थी डाँट भले सचिदानंद कहते हैं उसको पर भूल गया वो वैभव अपना दिख रहा बस डंडा माँ का भाग ले भाग सके है जितना माँ के डर से भाग रहा लल्ला कान का कुंडल गाल पे आये ये लो मैया भी तेज से दौडी अब बच के कान्हा कहाँ को जाए किसी की पकड़ में न आने वाले उन्हें आज माँ ने लिया है थाम ऐसे भगवान दामोदर को मै करूँ बारंबार प्रणाम ,बारंबार प्रणाम.
शुक्रवार, 22 अक्तूबर 2010
आज नही छोडूंगी कान्हा,जा तू आज जहाँ है जाना
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2 comments:
aap bahut aachha likhati hai,wah bhi techanology ke kshetra me rahate hue.aap ki rachanae wehad krishna prem se oot -prot hoti hai.
ati sunadr, uttam !
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